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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग

तोर सब्द उर्दू अपनाइस, अंगरेजी उरु कीन्हिंस, बोली खड़ी बुलंदशहर की, दांते अंगुरी दीन्हिस। देखि प्रवाह चरित का चित्रण छन्द, गीत, धुनि धारा, दुनिया भर की सगरी बोली, जोरि न सकीं अखारा। तोरी नीति, कहावत, कबिता, जग की करैं, ठठोली, अब जिउ मां धरु धीर, राम की प्यारी अवधी बोली। -रचयिता : पं. वंशीधर शुक्ल

Thursday, December 04, 2008

मझेरियाकलां का ज़िक्र "जनसत्ता" में




Posted by Unknown at 10:20 PM No comments:
Labels: चिट्ठा चर्चा, जनसत्ता, मझेरियाकलां
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अवधी उपन्यास - क़ासिद by पंकज शुक्ल is licensed under a Creative Commons Attribution-Non-Commercial-No Derivative Works 2.5 India License.

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