Tuesday, February 22, 2011

येऊर म अवधी सत्संग

माफ कीन्हैयो कलमगीर होति भए खबर लिखेम देरि कई दीन्हि। लेकिन यू बंबई सहर अइस है कि मन क्या कुछौ करेह नाई देति। बंबई थ्वारा आगे ठाणे म याक जगह है येऊर। ह्यानै बहुत साल पहिले बाबा स्वानंद याक जगह डेरा जमावा रहैन। उन्हिंन केरि समाधि क नेरे भा अवधी सम्मेलन। सम्मेलन का कहौ, घर जवारि क लोगन त मिलाभेंटी क्यार एकु मौका रहै। तसल्ली या बात कि रहै कि अवध क्यार लोग कम ते कम अपनी भाषा क लइके फनफनान तौ। नहिं तो उत्तर भारत केरि बस याकै भाषा इन दिना बिकाय रही और वा है भोजपुरी। भोजपुरी बनारस त लइकै गया तक बोली जाति है और अवधी ब्रज के आगे त लइके कासी तक। तुलसीदास केरि बलिहारी कहौ कि या भाषा गैर अवधी लोगन के घरैहो पर पढ़ि जाति है।
बतावा गा कि एहिते पहिलेहौ एकु अवधी सम्मेलन अखिल भारतीय स्तर पर हुई चुका अहै। यू दूसर रहै। लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, अमेठी त लइकै बनारस तक के लोग जुटे। सायद 1976 म अमेठी क्या जगदीश पीयूष अपने हियन बनी मलिक मोहम्मद जायसी केरि मजार त अइसै कुछ काम सुरू कीन तेइन। अवधी क बारै म लोगन क बतावै खातिर अब अगिले साल बंबईहिम पहिला विश्व अवधी सम्मेलन होए जा रहा।
सब लोग इकट्टा भे तो सबते पहिले इ बात पर गुस्सा दिखाएन कि ससुर तमाम हिंदी सलीमा त लइके टीवी सीरियलन म डॉयलाग लिखे अवधी म जाति हैं औ कहा जाति है कि भोजपुरी आए। ऑस्कर तक जा पहुंची आमिर खान केरी लगान म तो अपने लखनई क्यार के.पी. चच्चै संवाद लिखे तेइन। आमिर खानौ क्या पुरिखा हरदोई क रहैया बताए जात अहै। उनकौ अवधी भाषा केरे पुनर्जागरण म सामिल कीन जाएक चही। लोगन यहौ कहेन कि लखनऊ केरि मसहूर गायिका मालिनी अवस्थी गउतीं कजरी, सोहर सब अवधी म हैं लेकिन सरकारन त पइसा भोजपुरी क नाम प लेती अहैं। सम्मेलन म मांग कीन्हि गै कि लोकभाषन क नाम प आम जनता क पइसा लुटावै वाली सरकारै पहिले तो भोजपुरी क नाम प अवधी क ब्याचब बंद करैं। प्रवासी संसार क्यार संपादक राकेश पांडे एहिकै खातिर एकु अभियान सुरू करै कि वकालत कीहिन। अवधी क सामने मौजूद चुनौतिन क बारे बंबई यूनिवर्सटी म हिंदी क एचओडी रहे डॉ. रामजी तिवारी कहेन कि अवधी क बोली क बजाय भाषा कहैक चही। काहेक या बात तो तुलसीदास सालन पहिले कहि दीन तैइन। अवधी अकादमी चलावै वाले जगदीश पीयूष यहि मौका पर पहले विश्व अवधी सम्मेलन क्यार अध्यक्ष दोपहर का सामना क संपादक प्रेम शुक्ल कइहां बनावै क प्रस्ताव कीहिन, जहिका सबै लोग मंजूर कई दीन्हेनि।
अवध ज्योति क संपादक डॉ. राम बहादुर मिश्र क कहब रहै कि अवधी म गद्य आजुकाल्हि कम लिखा जाए रहा। अवधी विकास संस्थान क अध्यक्ष विनोद मिश्र कहेनि कि अवधी कबहूं बिलाय नाईं सकत। उई बताएन कि आजु काल्हि सगरै चैनलन पर कौन न कौनो सीरियल म कौन न कौन किरदार अवधी म ब्वालत जरूर दिखाई परति है। नवनीत क्यार संपादक रहि चुके गिरिजा शंकर त्रिवेदी कहेनि अवधी क ब्वालब बहुत जरूरी अहै। सब पंचन क अपने अपने घर मा लरिका बच्चन त दिन मा याक आधी दांय अवधी म जरूब ब्वालब चही। हमरे हिसाब त अवधी क साहित्य इंटरनेट पर लावब बहुत जरूरी अहै। अवधी क इ सम्मेलन क्यार संयोजक राजेश विक्रांत औरिउ तमाम बातै अवधी प्रेमिन क एकजुट करै क खातिर बताएन।