Friday, March 04, 2011

आखिर कौन लाल जड़े रहैं पीपली लाइव म?


“का पीपली लाइव क ऑस्कर म एहिके मारे पठवा गा रहै कि स्लमडॉम मिलिनेयर म भै भारत की बेइज्जती कम परिगै रहै औ आमिर चाहति रहैं कि दुनिया तनुक हमरी गरीबी प औरु हंसै। भला याक पिच्चर जौन उल्टी ते सुरू होए और टट्टी प खत्म होए, वहिका भारत म पिछले साल बनी सैकड़ों फिल्मन म सबते बढ़िया मानि लीन गा? अगर या बात ना रहै तो फिर काहे पठवा गा येई फिलिम कइहां ऑस्कर म?” (येई लेख तेरे)

भली कह्यौ। तो भइया याक दांय फिर ते ऑस्कर चाचा कइहां पुरानी दुनिया क सलीमा नीक नाईं लाग। इनाम तो छ्वाड़ौ, इनाम तेरे पहिले अखिरी कि पांच पिच्चरौ मइहां कौन हिंदी कि फिलिम कि गिनती नाई भै। जौन कहौ तौन यादि परति है कि पिछले दस साल म जैसे हे अपन फिल्म फेडरेसन ऑफ इंडिया मतलब कि एफएफआई कौनो हिंदुस्तानी सलीमा क्यार नाम घोषित करति है, ऑस्कर म पठवै खातिर, सगरे टीवी चैनलन प हुर्र कटि जाति है। औ, जैसे हे बौरे गांवै ऊंट आवा के नांय या हुर्रि पटाति है, सुरू हुई जाती हैं गारी गुप्तारि, कि या फिल्म उनके कहै त भेजिगै। फलाने या पिच्चर पठवै खातिर कित्ता जुगाड़ लगाएन वगैरा वगैरा। लेकिन हम तौ कहिति है कि अगर कौनो बड़मनई तनुक ढंग ते जादा नाई पाछे क दस साल म पठई गई पिच्चरन केरि लिस्ट देखि ले, तो वहिका पता चलि जाइ कि काहे स्लमडॉम मिलेनियर जैसी विदेसी पिच्चर म विदेसी ऑस्कर जीते वाले देसी रेसुल पोकुट्टी कहत है कि हिंदुस्तान वाले ढंग की पिच्चर ऑस्कर म नाईं पठवत।
वइसे तो महेस भट्ट जैसे फिल्मकारन कि या बात मानै म हमका कौनौ संकोच नाईं कि काहे भला ऑस्कर वाले हमका यू बतावैं कि कौनि फिलिम बढ़िया है, कौनि नाईं औ काहे उनके पैमाना पर हमकी पिच्चरै नापी जाएं, औ काहे भला हम पंचै कौनौ गोरी चमड़ी वाले कि तारीफ प खीसै निपोरी। लेकिन पोकुट्टी भैया कि या बातौ हम मानिति अहै कि अपने देस ते ढंग की पिच्चरै जादा कईकै नइहिं पठइ जाती हैं। लगान क्यार नाम जब ऑस्कर खातिर पठवा गा रहै तो अखिरी कि पांच पिच्चरन म आवै क खातिर बतावा जाति है आमिर खान जादा नाईं तो कम ते कम एक करोड़ क करीब रुपया हुअन अमेरिका म खर्च कइ डारा तेइन। खर्चा चाहै जित्ता हुइगा होए लेकिन जब लगान क्यार नंबर इनाम पा सकै वाली फिल्मन के बीच म लागि गा रहा, तो उनकेरि खुसी उनकी आवाज प झलकै लागि रहै। तब आमिर खान अमरीका तेरे फोन कीन्ह तेइन। उई दिना हम याक न्यूज चैनल म रहन औ आमिर चैनल की मार्फत पूरे हिंदुस्तान क साथै अपन खुसी देर तक बांटी तेइन। लेकिन बिचरऊ खिसियाएक रहिगे, जब आखिर म इनाम कौनो औरि हि फिलिम क मिलि गा रहै। एहि के बादि तेरे पिछले दस साल म आमिर खान क नाम त जुड़ी तीनि औरिउ पिच्चरै रंग दे बसंती, तारे जमीन पर औ पीपली लाइव ऑस्कर म सामिल होएक खातिर पठई जा चुकी अहैं। चलौ खैर रंग दे बसंती औ तारे जमीन पर मइहां कुछ तौ बात रहै। गांव जवारि क अलावा दुनिया क अऊरौ देसन क लोग एहिका द्याखा तेइन। कुछ तौ बार रहै इ पिच्चरन म, लेकिन पीपली लाइव?
का पीपली लाइव क ऑस्कर म एहिके मारे पठवा गा रहै कि स्लमडॉम मिलिनेयर म भै भारत की बेइज्जती कम परिगै रहै औ आमिर चाहति रहैं कि दुनिया तनुक हमरी गरीबी प औरु हंसै। भला याक पिच्चर जौन उल्टी ते सुरू होए और टट्टी प खत्म होए, वहिका भारत म पिछले साल बनी सैकड़ों फिल्मन म सबते बढ़िया मानि लीन गा? अगर या बात ना रहै तो फिर काहे पठवा गा येई फिलिम कइहां ऑस्कर म?
पिछले दस साल म अच्छा सलीमा छोड़ि क सितारन क नाम के चक्कर म ऑस्कर तक पिच्चर भ्याजै क यू एकुइ मामला ना आय। एहिके पहिले शाहरुख खान कि देवदास और पहेली ऑस्कर क दरवाजे त लौटि चुकी अहै। अऊऱ त अऊर अमिताभ बच्चन कि फिल्म एकलव्य क को कहै। इ फिल्म क चक्कर म तो मुंबई म तमाम कोर्ट कचहरी हुइगै रहै। हाईकोर्ट म एफएफआई क हलफनाम देक परा कि आगे त कौनौ फिल्म ये तना न पठई जाइ।
ऑस्कर मइहां गैर अंग्रेजी पिच्चरन क सम्मान क्यार सिलसिला जानौ 1956 म सुरू भा रहै। औ एहिके अगिलेहे साल यानी क 1957 तेरे अपने हियन क्यार फिल्म बनैया अपनी अपनी पिच्चरै इनाम क खातिर पठवन लाग। मुला मदर इंडिया, सलाम बॉम्बे औ लगान क छांड़ि क याकौ फिल्म अखिरी क पांच पिच्चरन म तक्का जगा नाईं बना पाएनि। इ सालन म पठई गईं 40 त जादा पिच्चर कि लिस्ट प कौनौ सरसरी निगाहौ डारै तो वहिका समझि म आ जाई कि मामला कहां बदबदान जा रहा। अब यू बताऔ अगर अमेरिका म यू ऑस्कर दे वाले अगर अपनी हियन कि मदर इंडिया, अपूर संसार, मुगल ए आज़म, साहिब, बीवी और गुलाम औ गाइड जैसी पिच्चरन क ऑस्कर लायक नाईं मानेन्हि तौ भला पीपली लाइव क का बिसात!

यू लेख "झाड़े रहौ कलेक्टरगंज" कॉलम के तहत वेब पोर्टल बिहारडेज़.कॉम पर प्रकाशित हुइ चुका अहै। साइट पर जाए खातिर ई लिंक पर क्लिक करौ -
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